Zara Si Aahat Hoti Hai (From "Haqeeqat")

ज़रा सी आहट होती है, तो दिल सोचता है

कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं
ज़रा सी आहट होती है, तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

छुप के सीने में

छुप के सीने में कोई जैसे सदा देता है
शाम से पहले दीया दिल का जला देता है
है उसी की ये सदा, है उसी की ये अदा

कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

शक्ल फिरती है निगाहों में वही प्यारी सी
मेरी नस-नस में मचलने लगी चिंगारी सी
छू गई जिस्म मेरा, किसके दामन की हवा

कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं

ज़रा सी आहट होती है, तो दिल सोचता है
कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं
कहीं ये वो तो नहीं



Credits
Writer(s): Madan Mohan, Kaifi Azmi
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link