Ve Dholna

हैं साज़िशें ये तेरी या है मेरा नसीब
आने लगे ऐसे हम कैसे इतने क़रीब?
कल तक तो लगता था तू अजनबी
फिर क्यूँ अपना लागे, जानूँ मैं नहीं

वे ढोलना, नैनों से अब तू जाए ना
वे ढोलना, ख़्वाबों से कह दे, आए ना

Whoa, ये तेरा-मेरा मिलना, यही इश्क़ है
साथ तेरे हर इक लम्हा जो नसीब है
अब जो मिलें, ना छोड़ना

वे ढोलना, है राज़ क्या ये खोलना?
वे ढोलना, नैनों से अब तू बोलना

ये धूप जो प्यार की खिल रही
हाँ, है ज़िंदगी ज़िंदगी से मिल रही
ये धूप जो प्यार की खिल रही
है ज़िंदगी ज़िंदगी से मिल रही

ओ, बहने लगे हैं हम जहाँ
ख़्वाबों का है वो आसमाँ

वे ढोलना, है दो जहाँ को जोड़ना
वे ढोलना, वादा कभी ना तोड़ना



Credits
Writer(s): Sachin, Jigar, Priya Saraiya
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