Koi Aayat

कोई आयात, याद नहीं मुझ को
तेरे नाम का नग़मा काफ़ी हैं
सौ जन्नत, क्यूँ करवाए नाम
तेरी रूह में रह लू, काफ़ी हैं
माना इश्क़ की शक्ल-ओ-सूरत नहीं
तू ख़ुद इस का फ़रियादी हैं
तेरे इश्क़ के रंग, रंगा बैठी
मैं आपना रंग गवा के
मेरा सारा कुछ, मैं लूटा बैठी
तेरा पागलपन मैं कमा के

दुनिया की गरज भी नहीं मुझ को
तू बना दे बैरागंग काफ़ी हैं

नी सा रे सा मा प नी सा
नहीं कोई ज़रूरत सासों की
ना रूह की हैं, ना जान की
मेरा यार तो सबसे बेहतर हैं
क्या सुध लेनी है जहान की?
नहीं कोई ज़रूरत सासों की (नी सा सा सा)
ना रूह की है, ना जान की (नी सा सा सा)
मेरा यार तो सबसे बेहतर हैं (ध नी नी नी)
क्या सुध लेनी है, जहान की

प म र ग प म र ग प म र ग
नी स रे म प रे म प नी सा नी प नी सा नी प म प रे
ना कोई गली भाए मुझ को
बस तेरा आँगन काफ़ी हैं
कोई आयात याद नहीं मुझ को
तेरे नाम का नग़मा काफ़ी हैं



Credits
Writer(s): Abhishek Arora, Ananya Purkayastha
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