Ram Lala

तुलसी ने झूम के गाई कोई मस्त-मगन चौपाई
पागल हैं ख़ुशी से नैना, घर आए मेरे रघुराई
हो, रामचंद्र जहाँ ठुमक चले, हर्षित है वो अँगनाई
क्या सुनना है, क्या कहना, घर आए रघुराई

अब आठों पहर तेरे मंदिर में गुज़ारा है
नगरी है अयोध्या की, सरजू का किनारा है
मेरे राम लला, हर दिन तेरा ही नज़ारा है
नगरी है अयोध्या की, सरजू का किनारा है
मेरे राम लला, हर दिन तेरा ही नज़ारा है

सूखी नदी में जैसे मछली बहे
नाथ, बिन तेरे हम ऐसे जीते रहे
हो, आज बावरा तो होना बनता है, प्रभू
बन गए हैं फूल सारे दर्द जो सहे
तेरी खड़ाऊँ शीश पे लेके
जोगी बने नाचें हम, तू जो कहे

तू जितना भरत का था, उतना ही हमारा है
नगरी है अयोध्या की, सरजू का किनारा है
मेरे राम लला, हर दिन तेरा ही नज़ारा है
नगरी है अयोध्या की, सरजू का किनारा है
मेरे राम लला, हर दिन तेरा ही नज़ारा है

कण-कण आज हुआ कौशल्या, दशरथ हुए हैं पनघट-पोखर
वो दिन आया जिसका रस्ता नैनों ने देखा रो-रो कर
सारे कोने, सारे कूचे भर दो दीपों से बिन पूछे
अपने राम लला आ जाएँ जाने कौन गली से होकर

चल, प्राण उसे दे-दें प्राणों से जो प्यारा है
नगरी है अयोध्या की, सरजू का किनारा है
मेरे राम लला, हर दिन तेरा ही नज़ारा है

सियावर रामचंद्र की जय, राजा रामचंद्र की जय (नगरी है अयोध्या की)
सियावर रामचंद्र की जय, राजा रामचंद्र की जय (सरजू का किनारा है)
सियावर रामचंद्र की जय, मेरे रामचंद्र की जय (मेरे राम लला, हर दिन)

राजा रामचंद्र की जय, सियावर रामचंद्र की जय (तेरा ही नज़ारा है)
सियावर रामचंद्र की जय, राजा रामचंद्र की जय (तेरा ही नज़ारा है)
सियावर रामचंद्र की जय, राजा रामचंद्र की जय (तेरा ही नज़ारा है)



Credits
Writer(s): Manoj Muntashir Shukla, Vishal Mishra
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