Bichhde Huye Pardesi

बिछड़े हुए परदेसी...
बिछड़े हुए परदेसी एक बार तो आना तू
जब आँख मिलाई है नज़रे न चुराणा तू
बिछड़े हुए परदेसी...

वादें भी किए तूने, खाई थी क़सम मेरी
वादें भी किए तूने, खाई थी क़सम मेरी
वादों पे ही जीती हूँ, है आस मुझे तेरी

इतनी है अरज मेरी मुझको न भुलाना तू
जब आँख मिलाई है नज़रे न चुराणा तू
बिछड़े हुए परदेसी...

दुनिया मुझे छीने है, सब ने मुझे घेरा है
दुनिया मुझे छीने है, सब ने मुझे घेरा है
और मेरी जुबाँ पर तो बस नाम ही तेरा है

दुनिया न हँसे मुझ पर इतना न रुलाना तू
जब आँख मिलाई है नज़रे न चुराणा तू
बिछड़े हुए परदेसी...

गैरों का न हो जाना जब अपना बनाया है
गैरों का न हो जाना जब अपना बनाया है

पास आके न खो जाना जब दिल में बसाया है
जो बात कहीं तूने वो बात निभाना तू
जब आँख मिलाई है नज़रे न चुराणा तू

बिछड़े हुए परदेसी एक बार तो आना तू
जब आँख मिलाई है नज़रे न चुराणा तू
बिछड़े हुए परदेसी...



Credits
Writer(s): Jaikshan Shankar, Jaipuri Hasrat
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