Chal Ud Jare Panchhi

चल, उड़ जा रे पंछी...
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी...

ख़तम हुए दिन उस डाली के जिस पर तेरा बसेरा था
ख़तम हुए दिन उस डाली के जिस पर तेरा बसेरा था
आज यहाँ और कल हो वहाँ, ये जोगी वाला फेरा था
ये तेरी जागीर नहीं थी...
ये तेरी जागीर नहीं थी, चार घड़ी का डेरा था

सदा रहा है इस दुनिया में किस का आब-ओ-दाना
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी...

तूने तिनका-तिनका चुन कर नगरी एक बसाई
तूने तिनका-तिनका चुन कर नगरी एक बसाई
बारिश में तेरी भीगी पाखे, धूप में गर्मी खाई
ग़म ना कर...
ग़म ना कर, जो तेरी मेहनत तेरे काम ना आई

अच्छा है कुछ ले जाने से, देकर ही कुछ जाना
चल, उड़ जा रे पंछी कि अब ये देस हुआ बेगाना
चल, उड़ जा रे पंछी...



Credits
Writer(s): Chitragupta, Rajinder Krishan
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link