Gore Hathon Pe Zulm Na Kar

ओय-होय
गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो

गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो
ओ, गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो
तुम्हारी कँवारी कलाई को दाग़ ना लगे
गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो

जान-ए-मन, इन हाथों में तो
मेहँदी का रंग लगना है
हाय, प्यार की रंगत से तेरा
नाज़ुक अंग-अंग सजना है

है कौन सी ऐसी मजबूरी?
जो हुस्न करे ये मज़दूरी
तुम्हारी कँवारी कलाई को दाग़ ना लगे
गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो

महलों की तुम रानी हो
मैं प्रीतनगर का शहज़ादा
बाँट लें हम क्यूँ ना दोनों
धन अपना आधा-आधा?

हम काम करें, तुम राज करो
मंज़ूर तो हाथ पे हाथ धरो
तुम्हारी कँवारी कलाई को दाग़ ना लगे
गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो

ग़ुस्से में जो उलझी है
आओ तो वो लट मैं सुलझा दूँ
हाय, छेड़े जो ज़ुल्फ़ें तेरी
उस शोख़ हवा को रुकवा दूँ

देखो ना यूँ आँखें मल-मल के
पड़ जाएँगे धब्बे काजल के
तुम्हारी कँवारी कलाई को दाग़ ना लगे
गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो
हो, गोरे हाथों पर ना ज़ुल्म करो
हाज़िर है ये बंदा, हुक्म करो



Credits
Writer(s): Laxmikant Pyarelal, Rajinder Krishan
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