Piya Tu Kaahe Rootha Re

पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे
पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे

चली कोसों कोस मैं अकेली
मोसे बूझि जाए ना पहेली
बिरहा बनी मोरी सहेली

पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे

मैं जागूँ सोते-सोते जैसे मोहे
लागे बदन मोरा तूने ही हो छुआ
मैं जो हूँ तोहरी बात-बात
जले साथ-साथ गहरी का दीया

तू जो घर आए दरस दिखाए
तू जो घर आए दरस दिखाए
गरवा मैं तोसे लग जाऊँ

पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे
पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे

दिन बीते मेरे फ़रियाद में
काटूँ रैना भी तोरी याद में
दिन बीते मेरे फ़रियाद में
काटूँ रैना भी तोरी याद में
जुड़े ऐसे तार कर के सिंगार
गई खुद को हार

चुभन सीने में, अगन जीने में
तड़प कासे कहूँ
ना मीरा, ना हूँ राधा
कान्हा तू भुला वादा
जियूँ तो कैसे जियूँ

पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे
पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे

चली कोसों कोस मैं अकेली
मोसे बूझि जाए ना पहेली
बिरहा बानी मोरी सहेली

पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे
पिया तू काहे रूठा रे?
निगोड़ा जग झूठा रे



Credits
Writer(s): Sandeep Shrivastava
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