Gadbadi Hadbadi

गड़बड़ी है, हड़बड़ी है, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे जानें निकल पड़ी है
गड़बड़ी है, हड़बड़ी है, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे जानें निकल पड़ी है

रातों में दिन कर दिए हैं, तारों के बिन चल दिए हैं
जगमगाती रोशनी में चाँद सारे कर दिए हैं
माफ़ी लेने, माफ़ी देने...
माफ़ी लेने, माफ़ी देने ज़िन्दगी पड़ी है

गड़बड़ी है, हड़बड़ी है, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे जानें निकल पड़ी है
गड़बड़ी है, हड़बड़ी है, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे जानें निकल पड़ी है

एक अरसे से जैसे साँस थमी थी (साँस थमी थी)
ख़ुद ना पता था, कोई कमी थी
अब जाने ना धूप ये, अब चमके ख़ूब ये
चमके-चमके ख़ूब ये, hey

गड़बड़ी है, हड़बड़ी है, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे जानें निकल पड़ी है
गड़बड़ी है, हड़बड़ी है, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे जानें निकल पड़ी है

झूमते हैं झूमरों से, घूमते हैं सरफिरों से
बिख़री राहों के हैं राही, दस्तख़त ना, ना सियाही
जितना भागो, उतना खींचे...
जितना भागो, उतना खींचे अरमाँ हथकड़ी हैं

हड़बड़ी है, गड़बड़ी है, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे निकल पड़ी है

हड़बड़ी है, गड़बड़ी, धूप जाके अब पड़ी हैं
ना समय है, ना घड़ी है, जाने कैसे निकल पड़ी है



Credits
Writer(s): Salim Merchant, Sulaiman Merchant, Jaideep Sahni
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