Do Ghadi Woh Paas Jo Baithe

दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

भूल की उनका हमनशीं हो के
रोएँगे दिल को उम्र-भर खो के
भूल की उनका हमनशीं हो के
रोएँगे दिल को उम्र-भर खो के

हाय, क्या चीज़ थी, लुटा बैठे
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

दिल को एक दिन ज़रूर जाना था
वहीं पहुँचा जहाँ ठिकाना था
दिल को एक दिन ज़रूर जाना था
वहीं पहुँचा जहाँ ठिकाना था

दिल वही दिल जो दिल में जा बैठे
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे

एक दिल ही था ग़म-गुसार अपना
मेहरबाँ ख़ास राज़दार अपना
एक दिल ही था ग़म-गुसार अपना
मेहरबाँ ख़ास राज़दार अपना

ग़ैर का क्यूँ उसे बना बैठे?
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे
हम ज़माने से दूर जा बैठे
दो घड़ी वो जो पास आ बैठे



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Madan Mohan
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