Barbaadi

जले धीरे-धीरे से एक आग साँसों में
जल जाने दूँ क्या? जल जाने दूँ क्या?
ये बेबसी मुझको कितनी सज़ा देगी
मर जाने दूँ क्या? मर जाने दूँ क्या?

देखो, सारे धागे टूटे इन जागी रातों में
बर्बादी, मीठी सी लगे ये आज़ादी
बर्बादी, मीठी सी लगे ये आज़ादी
बर्बादियों को अब आसमाँ मिले
तो मीठी सी लगे बर्बादी

कभी-कभी जो तुझको छू लूँ, चुभती है तू
कभी तू मुझको छीले, नीला-नीला सा कर दे
जागे होंठों पे हैं बातें पागल, छुप है ज़िंदगी
मुझे खोल दे, खोल दे, खोल दे, खोल दे, मैं तो क़ैदी हूँ

देखो, सारे धागे टूटे इन जागी रातों में
बर्बादी, मीठी सी लगे ये आज़ादी
बर्बादी, मीठी सी लगे ये आज़ादी
बर्बादियों को अब आसमाँ मिले
तो मीठी सी लगे बर्बादी

ज़रा-ज़रा सा तुझमें जी के मरता हूँ मैं
तेरी शाख़ों पर हैं मेरे सूखे-सूखे से सपने
टूटे हैं आँखों से प्यासे होकर छूने को ये ज़मीं
उन्हें जाने दो, जाने दो, जाने दो, जाने दो, खुलके बहने दो

उन्हें लेके जाएँ झोंके अनजानी राहों में
बर्बादी, मीठी सी लगे ये आज़ादी
बर्बादी, मीठी सी लगे ये आज़ादी
बर्बादियों को अब आसमाँ मिले
तो मीठी सी लगे बर्बादी



Credits
Writer(s): Amartya Rahut, Puneet Sharma
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