Bhajman Ram Charn Sukhdai

भज मन राम चरण सुखदाई .
जिहि चरननसे. निकसी सुरसरि, संकर जटा. समाई ।
जटासंकरी. नाम परयो है. त्रिभुवन तारन आई ॥
सोइ चरन, संतन जन से.वत, सदा रहत सुखदाई ।
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी, परसि परम, पद पाई ॥
कपि-सुग्रिव, बंधू. भय ब्याकुल, तिन जय छत्र फिराई ।
रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर, परसत लंका पाई ॥
सिव सनकादिक, अरु ब्रह्मादिक, सेष सहस मुख गाई ।
तुलसीदास, मारुत-सुतकी प्रभु, निज मुख, करत बड़ाई



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