Aisi Sazaa Deti Hawa (From the Movie 'Gulaal')

आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड
"आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो"

आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड
"आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो"
आन, बान, शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो

आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड
"आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो"
आन, बान, शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड...
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्व शक्तिमान है
मन करे सो प्राण दे, जो मन करे सो प्राण ले
वही तो एक सर्व शक्तिमान है

विश्व की पुकार है, ये भागवत का सार है
कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है
कौरवों की भीड़ हो या पांडवों का नीड़ हो
जो लड़ सका है वही तो महान है

जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं
क्या ज़िंदगी है, ठोकरों पे मार दो
मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यूँ डरें?
ये जाके आसमान में दहाड़ दो

आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड
"आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो"
आन, बान, शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो
आरंभ है प्रचंड...
हो दया का भाव, या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव, तुम ये सोच लो
हो दया का भाव, या कि शौर्य का चुनाव
या कि हार का वो घाव, तुम ये सोच लो

या कि पूरे भाल पर जल रहे विजय का
लाल-लाल ये गुलाल, तुम ये सोच लो
रंग केसरी हो, या मृदंग केसरी हो
या कि केसरी हो ताल, तुम ये सोच लो

जिस कवि की कल्पना में ज़िंदगी हो प्रेम गीत
उस कवि को आज तुम नकार दो
भीगती नसों में आज, फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दो

आरंभ है प्रचंड, बोले मस्तकों के झुंड
"आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो"
आन, बान, शान या कि जान का हो दान
आज एक धनुष के बाण पे उतार दो

आरंभ है प्रचंड...
आरंभ है प्रचंड...
आरंभ है प्रचंड...



Credits
Writer(s): Piyush Mishra
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