Aankhon Ki Gustakhiyan Maaf Ho (From "Hum Dil De Chuke Sanam")

आँखों की गुस्ताखियाँ
माफ़ हों

ओ आँखों की गुस्ताखियाँ
माफ़ हों
एक टुक तुम्हें देखती हैं
जो बात कहना चाहे ज़ुबान तुमसे वो ये कहती हैं

आँखों की शर्मोहाया
माफ़ हो
तुम्हें देखके झुकती हैं
उठी आँखें जो बात ना कह सकीं
झुकी आँखें वो कहती हैं

आँखों की
आँखों की
गुस्ताखियाँ
माफ़ हों

काजल का एक तिल तुम्हारे लबों पे लगा लून
ला ला ला.
हाँ चंदा और सूरज की नज़रों से तुमको बचा लून
ह्म.
ओह पलखों की चिलमन में आओ मैं तुमको छुपा लूँ
आ.
ख़यालों की ये शोखियां
माफ़ हों
हर दम तुम्हें सोचती हैं
जब होश में होता है जहाँ मदहोश ये करती हैं

आँखों की शर्मोहाया
माफ़ हो

ये ज़िंदगी आपकी ही अमानत रहेगी
आय हे
दिल में सदा आपकी ही मोहब्बत रहेगी
आय हे
इन साँसों को आपकी ही ज़रूरत रहेगी
इस दिल की नादनियाँ
माफ़ हों
ये मेरे कहाँ सुनती हैं
ये पल पल जो होते हैं बेपल सनम तो सपने नये बुनती हैं

आँखों की
आँखों की
गुस्ताखियाँ
माफ़ हों
शर्मोहाया
माफ़ हो.



Credits
Writer(s): Mehboob, Ismail Darbar, Don-dee
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