Aisa Kabhie Hua Nahin

(सुनीता, सुनीता, सुनीता)
(सुनीता, सुनीता, सुनीता)
सुनीता, सुनीता, सुनीता

ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ
ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ

रेशमी जुल्फें हैं, सावन की घटाओं जैसी
पलकें हैं तेरी घने पेड़ की छाँव जैसी
भोलापन और हसीं, आफ़रीन, आफ़रीन

ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ

झील सी आँखों में मस्ती के जाम लहराए
जब होंठ खुले तेरे सरगम बजे महके फिज़ाऐं
हर अदा दिलनशीं, आफ़रीन, आफ़रीन

ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ

पतली सी गर्दन में एक बल हैं सुराई जैसा
अंदाज मटकने का देखा ना किसी में ऐसा
गुलबदन, नाज़नीन, आफ़रीन, आफ़रीन

ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ
देखते ही तुझे होश गुम हुए
होश आया तो दिल मेरा दिल ना रहा
ऐसा कभी हुआ नहीं, जो भी हुआ खूब हुआ



Credits
Writer(s): R. D. Burman, Gulshan Bawra
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