Ketaki Gulab Juhi - From "Basant Bahar"

केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले
ऋतु बसंत अपनों कांत
गोड़ी गरवा लगाय
झुलना में बैठे
आज पी के संग झूले
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले

गल गल कुञ्ज कुञ्ज
गल गल कुञ्ज कुञ्ज गन
गन भँवरों की गूँज
राग रंग अंग अंग
छेदत रसिया अनंग
कोयल की पंचम
सुन दुनिया दुःख
भूले भूले भूले
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले
केतकी गुलाब जूही
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले

केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले
केतकी गुलाब जूही

चंपकबन फूले
ऋतु बसंत अपनों कांत
गोड़ी गरवा लगाय
झुलना में बैठ
आज पी के कंज झूले
पी के कंज झूले
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले

मधुर मधुर थोरि
थोड़ी मीठी बतियों से गोरी
मधुर मधुर थोरी थोरी
मधुर मधुर थोरी थोरी
मीठी बतियों से गोरी
चित चुराये हँसत जाय
चित चुराये हँसत जाय
चोरी कर सर झुकाए
शीश झुकाए चंचल लट

गालन को छू ले
गालन को छू ले
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले
केतकी गुलाब जूही
चंपकबन फूले
केतकी गुलाब जूही
केतकी गुलाब जूही
केतकी गुलाब जूही
केतकी गुलाब जूही
केतकी केतकी केतकी



Credits
Writer(s): Shailendra, Rs Shankar Singh
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