Pyar Ke Kagaz pe

प्यार के काग़ज़ पे दिल की क़लम से
प्यार के काग़ज़ पे दिल की क़लम से
पहली बार सलाम लिखा, पहली बार सलाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा

प्यार के काग़ज़ पे दिल की क़लम से
प्यार के काग़ज़ पे दिल की क़लम से
पहली बार सलाम लिखा, पहली बार सलाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा

यादों में दिन काटती थी, पर ना गुज़रती थीं रातें
यादों में दिन काटती थी, पर ना गुज़रती थीं रातें
कैसे भला मैं बताऊँ तुझ को जुदाई की बातें?

रंग लाई बेक़रारी, ऐसी छाई थी खुमारी
मैंने सुबह को शाम लिखा, मैंने सुबह को शाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा

तेरे गुलाबी लबों से शबनम के दाने चुराऊँ
तेरे गुलाबी लबों से शबनम के दाने चुराऊँ
जो बात ख़त में लिखी ना, आजा तुझे मैं बताऊँ

यूँ ही आहें भरते-भरते, तौबा मैंने डरते-डरते
उल्फ़त का पयाम लिखा, उल्फ़त का पयाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा

अच्छा नहीं यूँ तड़पना, ऐसे मिटेगी ना दूरी
अच्छा नहीं यूँ तड़पना, ऐसे मिटेगी ना दूरी
शहनाई जिस दिन बजेगी, हर आरज़ू होगी पूरी

प्यास अपनी कब बुझेगी? जाने डोली कब सजेगी
रब ने क्या अंजाम लिखा? रब ने क्या अंजाम लिखा?
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा

प्यार के काग़ज़ पे दिल की क़लम से
प्यार के काग़ज़ पे दिल की क़लम से
पहली बार सलाम लिखा (पहली बार सलाम लिखा)
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा
ओ, मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा

मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा
मैंने ख़त महबूब के नाम लिखा



Credits
Writer(s): Kalyanji Anandji, Anjaan
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