Woh Hain Zara

वो है ज़रा ख़फ़ा-ख़फ़ा तो नैन यूँ चुराए है
कि हो, हो, हो, हो, हो
ना बोल दूँ तो क्या करूँ? वो हँस के यूँ बुलाए है
कि हो, हो, हो, हो, हो

हँस रही है चाँदनी, मचल के रो ना दूँ कहीं
ऐसे कोई रूठता नहीं
ये तेरा ख़याल है, क़रीब आ मेरे, हसीं
मुझ को तुझ से कुछ गिला नहीं

बात यूँ बनाए है कि ओहो, ओहो, हो
वो है ज़रा ख़फ़ा-ख़फ़ा तो नैन यूँ चुराए है
कि हो, हो, हो, हो, हो

फूल को महक मिले, ये रात रंग में ढले
मुझ पे तेरी ज़ुल्फ़ 'गर खुले
तुम ही मेरे संग हो, गगन की छाँव के तले
ये रुत यूँ ही भोर तक चले

प्यार यूँ जताए है कि ओहो, ओहो, हो
वो है ज़रा ख़फ़ा-ख़फ़ा तो नैन यूँ चुराए है
कि हो, हो, हो, हो, हो
ना बोल दूँ तो क्या करूँ? वो हँस के यूँ बुलाए है
कि हो, हो, हो, हो, हो



Credits
Writer(s): Kudalkar Laxmikant, Majrooh Sultanpuri, Pyarelal Lakshmikant
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