Bita Mausam

बीता मौसम फ़िर आया है
बीता मौसम फ़िर आया है
यादों की पुरवाई भी
ऐसा तो कम होता होगा
वो भी हो, तनहाई भी

कोई झोंका जो गुज़रे आँगन से
चाल तेरी दिखाई देती है
(कोई झोंका जो गुज़रे आँगन से)
(चाल तेरी दिखाई देती है)

सीढ़ियों से उतरती है शाम तो
तेरी पायल सुनाई देती है
(सीढ़ियों से उतरती है शाम तो)
(तेरी पायल सुनाई देती है)

बारिशों के महीने में अक्सर
गीले पानी की बौछार आती है

भीग जाते हैं पलकों के पर्दे
तेरी बातों की झंकार आती है
भीग जाते हैं पलकों के पर्दे
तेरी बातों की झंकार आती है

कैसे-कैसे याद आते हैं?
कैसे-कैसे याद आते हैं?
अपने भी, हरजाई भी
ऐसा तो कम होता होगा
वो भी हो, तनहाई भी

कहते हैं कि झील किनारे
कहते हैं कि झील किनारे
कहते हैं कि झील किनारे
इक चाँद नहाने आता है
(इक चाँद नहाने आता है)

बदले की तरह पानी में खड़ा
अब किसको रिझाने आता है?
(बदले की तरह पानी में खड़ा)
(अब किसको रिझाने आता है?)

क्या अब भी वो सब होता है?
क्या अब भी वो सब होता है?
मिलनी भी और जुदाई भी
ऐसा तो कम होता होगा
वो भी हो, तनहाई भी

वो भी हो, तनहाई भी
वो भी हो, तनहाई भी



Credits
Writer(s): Gulzar, Hridaynath Mangeshkar
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