Kabhi Gham Se Dil Lagaya

कभी ग़म से दिल लगाया... हो
कभी अश्क के सहारे
कभी शब गुज़ारी रो के
कभी गईं के चाँद तारे
कभी गईं के चाँद तारे
कभी गईं के चाँद तारे
कभी ग़म से दिल लगाया...
विमल
ग़म-ए-आशिक़ी के सदमे, हमे और देना हमदम
ग़म-ए-आशिक़ी के सदमे
मेरे दिन गुज़र रहे हैं...
मेरे दिन गुज़र रहे हैं तेरी याद के सहारे
तेरी याद के सहारे
तेरी याद के सहारे
तेरी याद के सहारे
कभी ग़म से दिल लगाया...
विमल
गुलशन परस्त में हूँ, अहल-ए-चमन से कह दो
गुलशन परस्त में हूँ
खून-ए-जिगर से हमने...
...खून-ए-जिगर से हमने, फूलों के रुख़ निखारे
फूलों के रुख़ निखारे
फूलों के रुख़ निखारे
फूलों के रुख़ निखारे
कभी ग़म से दिल लगाया...
विमल
तुझे वास्ता ख़ुदा का, ज़रा देख ले इधर भी
तुझे वास्ता ख़ुदा का,
घबरा के मर न जाये...
घबरा के मर न जाये, शब-ए-हिजर ग़म के मारे
शब-ए-हिजर ग़म के मारे
शब-ए-हिजर ग़म के मारे
शब-ए-हिजर ग़म के मारे
कभी ग़म से दिल लगाया...



Credits
Writer(s): Chaman Lahori, Shamji Ghanshamji
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