Bol Radha Bol

मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
अरे, बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
(नहीं, कभी नहीं)

कितनी सदियाँ बीत गई हैं, हाय, तुझे समझाने में
मेरे जैसा धीरज वाला है कोई और ज़माने में?

दिल का बढ़ता बोझ कभी कम होगा कि नहीं?
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
अरे, बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
(Hahahaha! जा, जा)

दो नदियों का मेल अगर इतना पावन कहलाता है
क्यूँ ना जहाँ दो दिल मिलते हैं स्वर्ग वहाँ बस जाता है

हर मौसम है, प्यार का मौसम होगा कि नहीं?
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
अरे, बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
(नहीं, नहीं, नहीं, हट!)

तेरी ख़ातिर मैं तड़पा ज्यों तरसे धरती सावन को
"राधा, राधा," एक रटन है साँस की आवन-जावन को

पत्थर पिघले, दिल तेरा नम होगा कि नहीं?
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का
बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
अरे, बोल, राधा, बोल संगम होगा कि नहीं?
(Huh, जाओ ना, क्यूँ सताते हो? होगा, होगा, होगा)



Credits
Writer(s): Singh Shankar
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