Mere Mehboob Tujhe Meri Muhabbat

मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम

मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम
फिर मुझे नरगिसी आँखों का सहारा दे-दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे-दे
मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम

भूल सकती नहीं आँखें वो सुहाना मंज़र
जब तेरा हुस्न मेरे इश्क़ से टकराया था
और फिर राह में बिखरे थे हज़ारों नग़्मे
मैं वो नग़्मे तेरी आवाज़ को दे आया था

साज़-ए-दिल को उन्हीं गीतों का सहारा दे-दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे-दे
मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम

याद है मुझको मेरी उम्र की पहली वो घड़ी
तेरी आँखों से कोई जाम पिया था मैंने
मेरी रग-रग में कोई बर्क़ सी लहराई थी
जब तेरे मरमरीं हाथों को छुआ था मैंने

आ, मुझे फिर उन्हीं हाथों का सहारा दे-दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे-दे
मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम

मैंने इक बार तेरी एक झलक देखी है
मेरी हसरत है कि मैं फिर तेरा दीदार करूँ
तेरे साए को समझ कर मैं हसीं ताजमहल
चाँदनी रात में नज़रों से तुझे प्यार करूँ

अपनी महकी हुई ज़ुल्फ़ों का सहारा दे-दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे-दे
मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम

ढूँढता हूँ तुझे हर राह में, हर महफ़िल में
थक गए हैं मेरी मजबूर तमन्ना के क़दम
आज का दिन मेरी उम्मीद का है आख़िरी दिन
कल ना जाने मैं कहाँ और कहाँ तू हो, सनम

दो घड़ी अपनी निगाहों का सहारा दे-दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे-दे
मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम

सामने आ के ज़रा पर्दा उठा दे रुख़ से
एक यही मेरा इलाज-ए-ग़म-ए-तन्हाई है
तेरी फ़ुर्क़त ने परेशान किया है मुझको
अब तो मिल जा कि मेरी जान पे बन आई है

दिल को भूली हुई यादों का सहारा दे-दे
मेरा खोया हुआ रंगीन नज़ारा दे-दे
मेरे महबूब, तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम
मेरे महबूब, तुझे...



Credits
Writer(s): Shakeel Badayuni, Naushad
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