Bana Ke Kyon Bigada Re

बना के क्यूँ बिगाड़ा रे?
बना के क्यूँ बिगाड़ा रे? बिगाड़ा रे नसीबा
ऊपर वाले, ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाड़ा रे? बिगाड़ा रे नसीबा

ऊपर वाले, ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाड़ा रे?

जो तुझको मंज़ूर नही था, फूल खिले इस प्यार के
फ़िर क्यूँ तूने इन आँखो को रंग दिखाए बहार के?
आस बँधा के, प्यार जाता के बिगाड़ा रे नसीबा

ऊपर वाले, ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाड़ा रे?

पाप करे इंसान अगर तो, वो "पापी" कहलाता है
तूने भी ये पाप किया, फ़िर कैसे कहूँ तू दाता है?
राह दिखा के, राह पे ला के बिगाड़ा रे नसीबा

ऊपर वाले, ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाड़ा रे? बिगाड़ा रे नसीबा
ऊपर वाले, ऊपर वाले
बना के क्यूँ बिगाड़ा रे?



Credits
Writer(s): Gulshan Bawra, Anandji V Shah, Kalyanji Virji Shah
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