Dil Ko Gham-E-Hayat Gawara Hai In Dinon

दिल को ग़म-ए-हयात गंवारा है इन दिनों
दिल को ग़म-ए-हयात गंवारा है इन दिनों
पहले जो दर्द था वही चारा है इन दिनों

ये दिल ज़रा सा दिल तेरी यादों में खो गया
ये दिल ज़रा सा दिल तेरी यादों में खो गया
ज़र्रे को आँधियों का सहारा है इन दिनों
दिल को ग़म-ए-हयात गंवारा है इन दिनों

तुम आ सको तो शब को बढ़ा दूँ कुछ और भी
तुम आ सको तो शब को बढ़ा दूँ कुछ और भी
अपने कहे में सुबहो का तारा है इन दिनों
दिल को ग़म-ए-हयात गंवारा है इन दिनों
पहले जो दर्द था वही चारा है इन दिनों



Credits
Writer(s): Qateel Shifai, Jagjit Singh
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