Woh Hamse Chup Hain

वो हम से चुप हैं, हम उनसे चुप हैं
मनाने वाले मना रहे हैं
वो हम से चुप हैं, हम उनसे चुप हैं
मनाने वाले मना रहे हैं

निगाहें उठ-उठ के झुक रही हैं
निगाहें उठ-उठ के झुक रही हैं
मज़े मोहब्बत के आ रहे हैं

वो हम से चुप हैं, हम उनसे चुप हैं
मनाने वाले मना रहे हैं

ये झूठी आहें, ये झूठे आँसू
ये झूठी आहें, ये झूठे आँसू
झलक रहे हैं जो हर पलक में

बता रहे हैं...
बता रहे हैं कि टूटे दिल दो
हज़ारों सदमे उठा रहे हैं
मज़े मोहब्बत के आ रहे हैं

वो हम से चुप हैं, हम उनसे चुप हैं
मनाने वाले मना रहे हैं

घड़ी में बिगड़े, घड़ी में झगड़े
घड़ी में बिगड़े, घड़ी में झगड़े
हैं बैठे फिर भी ऐसी अदा से
...ऐसी अदा से

दबा के अपने होंठों को दोनों
हँसी को अपनी छिपा रहे हैं
मज़े मोहब्बत के आ रहे हैं

वो हम से चुप हैं, हम उनसे चुप हैं
मनाने वाले मना रहे हैं



Credits
Writer(s): Chitalkar Ramchandra, P L Santoshi
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