Bas Yehi Apradh Main Har Baar

बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ

एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेले भीड़ में कोई अकेले में
एक खिलौना बन गया दुनिया के मेले में
कोई खेले भीड़ में कोई अकेले में
मुस्कुराकर भेंट हर स्वीकार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ

हूँ बहुत नादान करता हूँ ये नादानी
बेच कर खुशियाँ खरीदूँ आँख का पानी
हूँ बहुत नादान करता हूँ ये नादानी
बेच कर खुशियाँ खरीदूँ आँख का पानी
हाथ खाली हैं मगर व्यापार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ

मैं बसाना चाहता हूँ स्वर्ग धरती पर
आदमी जिस में रहे बस आदमी बनकर
मैं बसाना चाहता हूँ स्वर्ग धरती पर
आदमी जिस में रहे बस आदमी बनकर
उस नगर की हर गली तैय्यार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ, बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ



Credits
Writer(s): Neeraj, Jaikshan Shankar
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link