Chand Apna Safar (From "Shama")

चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही

दिल में यादों के नश्तर से टूटा किए
एक तमन्ना कलेजा मसलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही

बदनसीबी शराफ़त की दुश्मन बनी
सज-सँवर के भी दुल्हन ना दुल्हन बनी

टीका माथे पे एक दाग़ बनता गया
मेहँदी हाथों से शोले उगलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही

ख़्वाब पलकों से गिरकर फ़ना हो गए
दो क़दम चल के तुम भी जुदा हो गए

मेरी हारी-थकी आँख से रात-दिन
एक नदी आँसुओं की उबलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही

सुबह माँगी तो ग़म का अँधेरा मिला
मुझको रोता-सिसकता सवेरा मिला

मैं उजालों की नाकाम हसरत लिए
उम्र-भर मोम बनकर पिघलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही

चंद यादों की परछाइयों के सिवा
कुछ भी पाया ना तन्हाइयों के सिवा

वक़्त मेरी तबाही पे हँसता रहा
रंग तक़दीर क्या-क्या बदलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही

दिल में यादों के नश्तर से टूटा किए
एक तमन्ना कलेजा मसलती रही
चाँद अपना सफ़र ख़त्म करता रहा
शम्मा जलती रही, रात ढलती रही



Credits
Writer(s): Asad Bhopali, Usha Khanna, Zafar Gorakhpuri
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