Simti Hui Yeh Ghadiyan (From "Chambal Ki Kasam")

सिमटी हुई ये घड़ियाँ
फिर से ना बिखर जाएँ
फिर से ना बिखर जाएँ
इस रात में जी लें हम
इस रात में मर जाएँ
इस रात में मर जाएँ
सिमटी हुई ये घड़ियाँ
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अब सुबह ना आ पाए
आओ ये दुआ माँगे
अब सुबह ना आ पाए
आओ ये दुआ माँगे
इस रात के हर पल से
रातें ही उभर जाएँ
रातें ही उभर जाएँ
सिमटी हुई ये घड़ियाँ
- - -
दुनिया की निगाहें अब
हम तक ना पहुँच पाएँ
दुनिया की निगाहें अब
हम तक ना पहुँच पाएँ
तारों में बसें चलकर
धरती में उतर जाएँ
धरती में उतर जाएँ
सिमटी हुई ये घड़ियाँ
- - -
हालात के तीरों से
छलनी हैं बदन अपने
हालात के तीरों से
छलनी हैं बदन अपने
पास आओ कि सीनों के
कुछ ज़ख्म तो भर जाएँ
कुछ ज़ख्म तो भर जाएँ
सिमटी हुई ये घड़ियाँ
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आगे भी अंधेरा है
पीछे भी अंधेरा है
आगे भी अंधेरा है
पीछे भी अंधेरा है
अपनी हैं वही साँसें
जो साथ गुजर जाएँ
जो साथ गुजर जाएँ
सिमटी हुई ये घड़ियाँ
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सिमटी हुई...
बिछड़ी हुई रूहों का
ये मेल सुहाना है
बिछड़ी हुई रूहों का
ये मेल सुहाना है
इस मेल का कुछ एहसाँ
जिस्मों पे भी कर जाएँ
जिस्मों पे भी कर जाएँ
सिमटी हुई ये घड़ियाँ
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तरसे हुये जज़्बों को
अब और ना तरसाओ
तरसे हुये जज़्बों को
अब और ना तरसाओ
तुम शाने पे सर रख दो
हम बाँहों में भर जाएँ
हम बाँहों में भर जाएँ
सिमटी हुई ये घड़ियाँ



Credits
Writer(s): N/a Khaiyyaam, Ludiavani Sahir
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