Dekha Jo Aaina To Mujhe Sochna Pada

देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा
देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा
ख़ुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा

उस का जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा
उस का जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा

मुझ को था ये गुमाँ कि मुझी में है इक अना
मुझ को था ये गुमाँ कि मुझी में है इक अना
देखी तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा
देखी तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा

दुनिया समझ रही थी कि नाराज़ मुझसे है
दुनिया समझ रही थी कि नाराज़ मुझसे है
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा

इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फ़राग़'
इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फ़राग़'
जब ख़ुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा
जब ख़ुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा

देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा
ख़ुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा
उस का जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा
उस का जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा



Credits
Writer(s): Jagjit Singh, Faragh Roohvi
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