Jab Tu Khuda Se

जब तू ख़ुदा से मन्नत माँगे, उसमें हेर और फेर ना कर
जब तू ख़ुदा से मन्नत माँगे, उसमें हेर और फेर ना कर
मन्नत को पूरा करने में, ऐ बंदे, तू देर ना कर

मन्नत को पूरा ना करना बंदे की नादानी है
वादा-ख़िलाफ़ी है ये ख़ुदा से और ये नाफ़रमानी है
मन्नत को पूरा ना करना बंदे की नादानी है
वादा-ख़िलाफ़ी है ये ख़ुदा से और ये नाफ़रमानी है

मन्नत को जो तोड़ता है, उससे नाराज़ ख़ुदा हो जाता है
उसकी निगाहें रहम-ओ-करम से फिर वो जुदा हो जाता है
मन्नत भी वादा है एक, ख़ुदा से तोड़ के तू अंधेर ना कर
जब तू ख़ुदा से मन्नत माँगे, उसमें हेर और फेर ना कर

पूछेंगे जब तुझसे फ़रिश्ते हर मन्नत का हिसाब
उसके सवालों का, ऐ बंदे, तू ही बता, क्या देगा जवाब?
पूछेंगे जब तुझसे फ़रिश्ते हर मन्नत का हिसाब
उसके सवालों का, ऐ बंदे, तू ही बता, क्या देगा जवाब?

जो तू फ़रिश्तों से कह देगा, "अनजाने में भूल गया"
तेरे बहाने सुन के ख़ुदा फिर तुझसे हो जाएगा ख़फ़ा
बोझ गुनाहों का तू उठाकर अपने सर को ज़ेर ना कर
जब तू ख़ुदा से मन्नत माँगे, उसमें हेर और फेर ना कर



Credits
Writer(s): Syed Ahmed
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