Sun Le Dyan Se Prani

सुन ले, सुन ले ध्यान से प्राणी...
सुन ले, सुन ले ध्यान से प्राणी, गीता ज्ञान है अमृत वाणी

गीता ज्ञान है अमृत वाणी
गीता ज्ञान है अमृत वाणी

(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)

सत्कर्मों को करता जा तू
सत्कर्मों को करता जा तू, व्यर्थ ना हो ये जीवन
सुमिर-सुमिर कर नारायण को कर अपने को पावन

परम तत्व को समझेगा जो...
परम तत्व को समझेगा जो वही है जग में ज्ञानी

गीता ज्ञान है अमृत वाणी
गीता ज्ञान है अमृत वाणी

(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)

धर्म, कर्म जब प्राणी तज के, ओ
धर्म, कर्म जब प्राणी तज के राह अधर्म की चलते हैं
साधु-संतों को दुख देकर अनाचार जब करते हैं

तब हरि अपना रूप बदल के...
तब हरि अपना रूप बदल के रचते नयी कहाना

गीता ज्ञान है अमृत वाणी
गीता ज्ञान है अमृत वाणी

(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)

श्री हरि कहते तुझसे बंदे, ओ
श्री हरि कहते तुझसे बंदे, "काहे की है उदासी?
नित कल्याण करूँगा तेरा, मैं घट-घट का वासी"

अविनाशी हूँ, मैं अजेय हूँ...
अविनाशी हूँ, मैं अजेय हूँ, दुनिया आनी-जानी

गीता ज्ञान है अमृत वाणी
गीता ज्ञान है अमृत वाणी

(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)

सुन ले, सुन ले ध्यान से प्राणी...
सुन ले, सुन ले ध्यान से प्राणी, गीता ज्ञान है अमृत वाणी

गीता ज्ञान है अमृत वाणी
गीता ज्ञान है अमृत वाणी

(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)

(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)
(ॐ नमो भगवते वासुदेवाय)



Credits
Writer(s): Nandu Honap, Pandit Kiran Mishra, Dharmesh Sagar
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