Pratham Dhar Dhyan Raag Mala

जिन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती हैं हमे
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नजर आती हैं हमे

सुर्ख फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूँ तेरी आवाज बुलाती हैं हमे

याद तेरी कभी दस्तक, कभी सरगोशी से
रात के पिछले पहर रोज जगाती हैं हमे

हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यों हैं
अब तो हर वक़्त यही बात सताती हैं हमे



Credits
Writer(s): shahryar, khayyam
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