Lipatta Hoon Main Jab Usse

लिपटता हूँ मैं जब उससे, जुदा कुछ और होता है
लिपटता हूँ मैं जब उससे, जुदा कुछ और होता है
मनाता हूँ मैं जब उसको...
मनाता हूँ मैं जब उसको, ख़फ़ा कुछ और होता है
लिपटता हूँ मैं जब उससे, जुदा कुछ और होता है
लिपटता हूँ...

ना कुछ मतलब अज़ानों से ना पाबंदी नमाज़ों की
ना कुछ मतलब अज़ानों से, ना पाबंदी नमाज़ों की
मुहब्बत करने वालों का...
मुहब्बत करने वालों का ख़ुदा कुछ और होता है
मनाता हूँ मैं जब उसको...
मनाता हूँ मैं जब उसको, ख़फ़ा कुछ और होता है

लिपटता हूँ मैं जब उससे, जुदा कुछ और होता है
लिपटता हूँ...

मेरी दीवानगी अब इंतिहाई हत हो छूती है
मेरी दीवानगी अब इंतिहाई हत हो छूती है
बूझती हूँ मैं जब कुछ भी...
बूझती हूँ मैं जब कुछ भी, जला कुछ और होता है
मनाता हूँ मैं जब उसको...
मनाता हूँ मैं जब उसको, ख़फ़ा कुछ और होता है

लिपटता हूँ मैं जब उससे, जुदा कुछ और होता है
लिपटता हूँ...

उजाला भीक में जो माँगते हैं उनसे ये कह दो
उजाला भीक में जो माँगते हैं उनसे ये कह दो
कि अँधेरे में जीने का...
कि अँधेरे में जीने का मज़ा कुछ और होता है

मनाता हूँ मैं जब उसको...
मनाता हूँ मैं जब उसको, ख़फ़ा कुछ और होता है
लिपटता हूँ मैं जब उससे, जुदा कुछ और होता है
लिपटता हूँ मैं जब उससे, जुदा कुछ और होता है
लिपटा हूँ...



Credits
Writer(s): Ravi Pawar
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link