Yeh Zindagi Ki Uljhanen

ये ज़िंदगी की उलझनें...

ये ज़िंदगी की उलझनें, ये ग़म की मेहरबानियाँ
बस अब तो मौत ही मिले तो ख़त्म हों कहानियाँ
ये ज़िंदगी की उलझनें, ये ग़म की मेहरबानियाँ
बस अब तो मौत ही मिले तो ख़त्म हों कहानियाँ

ओ, मेरे प्यार की कली, खिली रहे तू उम्र-भर
मैं कितनी बदनसीब हूँ कि जा रही हूँ छोड़ कर

ये तेरी मुस्कुराहटें, ये तेरी बेज़ुबानियाँ
बस अब तो मौत ही मिले तो ख़त्म हों कहानियाँ
ये ज़िंदगी की उलझनें, ये ग़म की मेहरबानियाँ
बस अब तो मौत ही मिले तो ख़त्म हों कहानियाँ

बस अब तो ग़म से हार के पुकारता है दिल यही
बुझा दे उस चराग़ को जो दे सके ना रोशनी

मिटा दे ऐसी ज़िंदगी, हों जिसमें बदगुमानियाँ
बस अब तो मौत ही मिले तो ख़त्म हों कहानियाँ



Credits
Writer(s): Ravi Shankar Sharma, Shakeel Badayuni
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