Zulf Bikhrati Chali Aayee Ho

ज़ुल्फ़ बिखराती चली आई हो
एजी, सोचो तो ज़रा, बदली का क्या होगा
हाँ-हाँ, बदली का क्या होगा

हाय, ज़ुल्फ़ बिखराती चली आई हो
एजी, सोचो तो ज़रा, बदली का क्या होगा
हाँ-हाँ, बदली का क्या होगा

होंठ ये नाज़ुक-नाज़ुक जैसे कँवारी कलियाँ
हाँ, होंठ ये नाज़ुक-नाज़ुक जैसे कँवारी कलियाँ
सामने इनके फीकी बाग़ की सारी कलियाँ
हाँ, सामने इनके फीकी बाग़ की सारी कलियाँ

यूँ जो मुस्काती चली आई हो
यूँ जो मुस्काती चली आई हो
यूँ जो मुस्काती चली आई हो
एजी, सोचो तो ज़रा, फूलों का क्या होगा
ज़ुल्फ़ बिखराती चली आई हो

आँख शराबी तेरी, हाय, उसमें गुलाबी डोरे, डोरे, डोरे
आँख शराबी तेरी, उसमें गुलाबी डोरे
शर्म के मारे दहके गाल ये गोरे-गोरे, गोरे, गोरे
शर्म के मारे दहके गाल ये गोरे-गोरे

आग भड़काती चली आई हो
आग भड़काती चली आई हो
आग भड़काती चली आई हो
एजी, सोचो तो ज़रा, शोलों का क्या होगा
ज़ुल्फ़ बिखराती चली आई हो

ले बैठी हैं हम को ये अनजान अदाएँ
हाँ, ले बैठी हैं हम को ये अनजान अदाएँ
छोड़ के दर को तेरे बोल कहाँ हम जाएँ?
हाँ-हाँ, छोड़ के दर को तेरे बोल कहाँ हम जाएँ?

जाल फैलाती चली आई हो
जाल फैलाती चली आई हो
जाल फैलाती चली आई हो
एजी, सोचो तो ज़रा, पंछी का क्या होगा

ज़ुल्फ़ बिखराती चली आई हो
एजी, सोचो तो ज़रा, बदली का क्या होगा, हाय
हाँ-हाँ, बदली का क्या होगा, हाय, हाय



Credits
Writer(s): Rajinder Krishan, Madan Mohan
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