Kali Ghata Chhaye

काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये
काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये
ऐसे में कहीं कोई मिल जाये, रे
काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये

ऐसे में कहीं कोई मिल जाये
बोलो, किसी का क्या जाये रे? क्या जाये रे? क्या जाये?

काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये

हूँ मैं कितनी अकेली, वो ये जान के
मेरे बेरंग जीवन को पहचान के
हूँ मैं कितनी अकेली, वो ये जान के
मेरे बेरंग जीवन को पहचान के

मेरे हाथों को थामे, हँसे और हँसाये
मेरा दुःख बुलाये, किसी का क्या जाये?

काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये

यूँ ही बगियन में डोलूँ, में खोयी हुई
ना तो जागी हुई सी, ना सोयी हुई
यूँ ही बगियन में डोलूँ, में खोयी हुई
ना तो जागी हुई सी, ना सोयी हुई

मेरे बालों पे कोई भी वेशी आए
कली टाँक जाए, किसी का क्या जाये?

काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये

उसकी राहे तकूँ, तलमलाती फिरूँ
हर आहट पे नैना बिछती फिरूँ
उसकी राहे तकूँ, तलमलाती फिरूँ
हर आहट पे नैना बिछती फिरूँ

वो जो आयेगा कल ना क्यूँ आज आये?
मेरा मन बसाये, किसी का क्या जाये?

काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये
ऐसे में कहीं कोई मिल जाये
काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये

ऐसे में कहीं कोई मिल जाये
बोलो, किसी का क्या जाये रे? क्या जाये रे? क्या जाये?

काली घटा छाये, मोरा जिया तरसाये



Credits
Writer(s): Majrooh Sultanpuri, S.d. Burman
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link