Sajana Sajani

(श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन)
(हरण भवभय दारुणं)
(नव कंज लोचन कंज मुख)
(कर कंज पद कंजारुणं)

सजनी, तेरे बिन ना कभी रहना
सजनी, तेरे बिन ना कभी रहना
सजना, तू मेरे तन का गहना, गहना
सजनी, तेरे बिन ना कभी रहना

तेरी ख़ुशबू चुरा के मन का मधुबन खिला है
तेरी साँसों को छू के मुझको जीवन मिला है
तेरे पलकों के छाँव में मेरे सपनों का घर है
तेरे रंग में रंगी है ये जो मेरी चुनर है, जो मेरी चुनर है

कंगना प्रीत का मैंने पहना
सजनी, तेरे बिन ना कभी रहना, रहना
सजना, तू मेरे तन का गहना

सात फेरे लगा के बँध गए हम वचन से
अपना रिश्ता वही है, धरती का जो गगन से
मैं रिझाऊँगी हर घड़ी तुझको १६ सिंगार से
रूठ जाएगी तू अगर, मैं मना लूँगा प्यार से, मैं मना लूँगा प्यार से

सुन री, मानूँगा मैं तेरा कहना
सजना, तू मेरे तन का गहना, गहना
सजनी, तेरे बिन ना कभी रहना



Credits
Writer(s): Anand Chitragupta, Milind Chitragupta, Sameer Lalji Anjaan
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