Tumhen Dekhti Hoon To

तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हे जानती हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हे जानती हूँ
अगर तुम हो सागर
अगर तुम हो सागर, मैं प्यासी नदी हूँ
अगर तुम हो सावन, मैं जलती कली हूँ
पिया तुम हो सागर

मुझे मेरी नींदें, मेरा चैन दे दो
मुझे मेरी सपनों की इक रैन, दे दो न
यही बात पहले भी तुमसे कही थी
वही बात फिर आज, दोहरा रही हूँ
पिया तुम हो सागर

तुम्हें छूके पल में, बने धूल चन्दन
तुम्हारी महक से, महकने लगे तन
मेरे पास आओ, गले से लगाओ
पिया और तुमसे मैं क्या चाहती हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हे जानती हूँ
अगर तुम हो सागर

मुरलिया समझकर, मुझे तुम उठा लो
बस इक बार होंटों से अपने, लगा लो न
कोई सुर तो जागे, मेरी धड़कनों में
के मैं अपनी सरगम से रूठी हुई हूँ
तुम्हें देखती हूँ तो लगता है ऐसे
के जैसे युगों से तुम्हे जानती हूँ
अगत तुम हो सागर, मैं प्यासी नदी हूँ
अगर तुम हो सावन, मैं जलती कली हूँ
पिया तुम हो सागर



Credits
Writer(s): Jaidev, Naqsh Lyallpuri
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link