Ponchh Kar Ashq Apni Ankhon Se (Original)

पौंछ कर अश्क अपनी आँखों से
पौंछ कर अश्क अपनी आँखों से
मुस्कुराओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने

पौंछ कर अश्क अपनी आँखों से
मुस्कुराओ तो कोई बात बने

ज़िंदगी भीख में नहीं मिलती
ज़िंदगी भीख में नहीं मिलती
ज़िंदगी बढ़ के छिनी जाती है
ज़िंदगी बढ़ के छिनी जाती है

अपना हक़ संग-दिल ज़माने से
छीन पाओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने

रंग और नस्ल, ज़ात और मज़हब
रंग और नस्ल, ज़ात और मज़हब
जो भी हो आदमी से कमतर है
जो भी हो आदमी से कमतर है

इस हक़ीक़त को तुम भी मेरी तरह
मान जाओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने

नफ़रतों के जहान में हमको
नफ़रतों के जहान में हमको
प्यार की बस्तियाँ बसानी हैं
प्यार की बस्तियाँ बसानी हैं

दूर रहना कोई कमाल नहीं
पास आओ तो कोई बात बने

पौंछ कर अश्क अपनी आँखों से
मुस्कुराओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा
सर उठाओ तो कोई बात बने



Credits
Writer(s): N Dutta, Ludiavani Sahir
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