Dwarkamai Tere Angam

द्वारका माई, तेरे आँगन में धूनी जलाई
साईं ने तेरे आँगन में धूनी जलाई
हो, बाबा ने तेरे आँगन में धूनी जलाई

धूनी ने भर-भर के विभूति दिलाई
जी ने भक्तों की कर दी भलाई

साईं ने तेरे आँगन में धूनी जलाई
बाबा ने तेरे आँगन में धूनी जलाई

साईं के धूनी ने धूम मचाई
विभूति ने भक्तों की विपदा मिटाई
साईं के धूनी ने धूम मचाई
विभूति ने भक्तों की विपदा मिटाई

विभूति ने जीवन की ज्योति जलाई
जी ने भक्तों की कर दी भलाई

ओ, साईं ने तेरे आँगन में धूनी जलाई
बाबा ने तेरे आँगन में धूनी जलाई

साईं के विभूति से माथा सजाया
जीवन के हर दुख को उसने मिटाया
साईं के विभूति से माथा सजाया
जीवन के हर दुख को उसने मिटाया

दयामई एसी है साईं की विभूति
घर-घर में सुख-शांति लाई

साईं ने तेरे आँगन में धूनी जलाई
बाबा ने तेरे आँगन में धूनी जलाई

पाप विनाशिनी, तू दुखहारिनी, मंगलमय तू धूनी
पाप विनाशिनी, तू दुखहारिनी, मंगलमय तू धूनी
तेरी विभूति साईंनाथ ने संजीवनी बनाई
संजीवनी बनाई, संजीवनी बना–



Credits
Writer(s): Pandurang Dixit, Bali Brahmbhatt
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