Tere Mere Pyaar Ki

घुलने दे ज़रा साँसों में
घुलने दे ज़रा प्यार को
हर तरफ़, हर जगह फैली चाँदनी तो
मैं ही क्यूँ तरसूँ चाँद को?

मेरे ख़ुदा, कभी यूँ ही
कोई ख़ुशी छोटी सी
क़िस्मत में अपनी भी तो हो

तेरे-मेरे प्यार की ऐसी हो ये दास्ताँ
आँखों से बातें हों, बस ये लब रहें, लब रहें बे-ज़ुबाँ
तेरे-मेरे प्यार की अनकही, अनसुनी
रूहानी-रूहानी ये कहानी

हाँ, लहरों की बेचैनी में तेरा इज़हार है
चाँदनी में पिघला-पिघला तेरा ही तो प्यार है
अपनी सुबह से कह दे झूठों एक बार रे
मैं तो भूल जाऊँगी, क्या ग़लत है, क्या सही

कोई दीवाना सा हो के
दिल भुला, सब भुला रे
सब भुला, हाँ, रे

तेरे-मेरे प्यार की ऐसी हो ये दास्ताँ
आँखों से बातें हों, बस ये लब रहें, ये रहें बे-ज़ुबाँ
तेरे-मेरे प्यार की अनकही, अनसुनी
रूहानी-रूहानी ये कहानी



Credits
Writer(s): Prashant Pillai, Gopal Datt
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