Fauji Gaya Jab Gaon Men, Pt. 2

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में

घर के अंदर जा कर
फिर जब मैंने खोला बक्सा
घर के अंदर जा कर
फिर जब मैंने खोला बक्सा

हाए, देख रहे थे सब यूँ जैसे देखें जंग का नक़्शा
हो नक़्शा

सबको था मालूम खुलेगी शाम को रम की बोतल
सबको था मालुम खुलेगी शाम को rum की बोतल
सब आ बैठे घर मेरे
घर मेरा बन गया होटल

बीच में बैठा था मैं, सब बैठे थे आजू-बाजू
इतने में बंदूक चली, भई, गाँव में आए डाकू, हाँ
उतर गई थी सबकी, छुप गए सारे डर के मारे
उतर गई थी सबकी छुप गए सारे डर के मारे

मैं घर से बाहर निकला सब मेरा नाम पुकारे
मार के लाठी ज़मीं पे जट्ट ने
डाकुओं को ललकारा

वो थे चार, अकेला मैं
मैंने चारों को मारा

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में

छोड़ के अपने घोड़े डाकू जान बचा कर भागे
छोड़ के अपने घोड़े डाकू जान बचा कर भागे
मेरी वाह-वाह करते सुबह नींद से लोग जागे

मैं खेतों की सैर को निकला, मौसम था मस्ताना
रस्ते में वो मिली मेरा था जिस से इश्क़ पुराना
जिस से इश्क़ पुराना
खूब सुने और खूब सुनाए किस्से अगले-पिछले
भई खूब सुने और खूब सुनाए किस्से अगले-पिछले

निकला चाँद तो हम दोनों भी
खेत से बाहर निकले
हाए-हाए, मच गया शोर सारे गाँव में

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में

फ़ौजी गया जब गाँव में
फ़ौजी गया जब गाँव में



Credits
Writer(s): Anand Bakshi, Kudalkar Laxmikant, Pyarelal Ramprasad Sharma
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