Mujhko Yaqeen Hai

मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी
मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थी

मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी

एक ये दिन, जब अपनों ने भी हमसे नाता तोड़ लिया
एक ये दिन, जब अपनों ने भी हमसे नाता तोड़ लिया
एक वो दिन, जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं

मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी

एक ये दिन, जब सारी सड़कें रूठी-रूठी लगती हैं
एक ये दिन, जब सारी सड़कें रूठी-रूठी लगती हैं
एक वो दिन, "जब आओ खेलें" सारी गलियाँ कहती थीं

मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी

एक ये दिन, जब जागी रातें दीवारों को तकती हैं
एक ये दिन, जब जागी रातें दीवारों को तकती हैं
एक वो दिन, जब शामों की भी पलकें बोझल रहती थीं

मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी

एक ये दिन, जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का
एक ये दिन, जब लाखों ग़म और काल पड़ा है आँसू का
एक वो दिन, जब एक ज़रा सी बात पे नदियाँ बहती थीं

मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी

जब मेरे बचपन के दिन थे, चाँद में परियाँ रहती थीं
मुझको यक़ीं है, सच कहती थी, जो भी अम्मी कहती थी



Credits
Writer(s): Javed Akhtar, Jagjit Singh
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link