Airee Sakhi

एरी सखी, मोरे पिया घर आए
एरी सखी, मोरे पिया घर आए
भाग जगे इस आँगन के
भाग जगे इस आँगन के

अपने पिया के मैं बल-बल जाऊँ
अपने पिया के मैं बल-बल जाऊँ
चरन लगाया निर्धन को
चरन लगाया निर्धन को

एरी सखी, मोरे पिया घर आए

जिसका पी संग बीते सावन
उस बिरहन की रैन सुहागन

जिस सावन में पिया घर ना आए
जिस सावन में पिया घर ना आए
आग लगे उस सावन को
आग लगे उस सावन को

एरी सखी, मोरे पिया घर आए
एरी सखी, मोरे पिया घर आए



Credits
Writer(s): Hazrat Amir Khusrau, Kavita Seth, Kanishk Seth
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