Dariya Dil Dariya Dil

दीप अँधेरों में रहते हैं
रोशनी बाँटते रहते हैं
पेड़ धूप खुद सहते हैं
छाँव बाँटते रहते हैं

जो ग़म लेकर देते हैं खुशियाँ
दरियादिल उन्हें कहते है
(दरियादिल, दरियादिल)

कोई ना कोई छुपा हुआ दुख
हर सुख के अंदर है
सेवा-दान ही ऐसा सुख है
जिसमें ना दुख का डर है
जिसमें ना दुख का डर है

जो ग़म लेकर देते हैं खुशियाँ
दरियादिल उन्हें कहते हैं
(दरियादिल, दरियादिल)

सागर अपने सर पर कब
एहसान किसी का लेता है
लेता है नदियों से पानी तो
बदले में बादल देता है
बदले में बादल देता है

जो ग़म लेकर देते हैं खुशियाँ
दरियादिल उन्हें कहते है
(दरियादिल, दरियादिल)

दीप अँधेरों में रहते हैं
रोशनी बाँटते रहते हैं
पेड़ धूप खुद सहते हैं
छाँव बाँटते रहते हैं

जो ग़म लेकर देते हैं खुशियाँ
दरियादिल उन्हें कहते हैं
(दरियादिल, दरियादिल)
(दरियादिल, दरियादिल)



Credits
Writer(s): Shyamlal Harlal Rai Indivar, Nagrath Rajesh Roshan
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