Albeliya

कोई परदा, कोई ओलट
मेरी ही आँखों में
मारे मारे हैं, ताना
मारे, मारे हैं ताना.

जब झीझकी जब कांपे
होंठों की जोड़ी तो
मैंने, हाँ मैंने, जाना.
मैंने, मैंने हाँ जाना.

मैं तो आज़ादी में भी
क़ैद हो गयी
मेरे अलबेलिया, तू खेलिया

मैं तो आज़ादी में भी
क़ैद हो गयी
मेरे अलबेलिया, तू खेलिया
अलबेलिया वे तू खेलिया

बदला है शीशा या मैं
हो गई नयी
मेरे अलबेलिया, तू खेलिया
अलबेलिया वे तू खेलिया

मैं जो दुनिया का चेहरा निहारूं
उनको ही पाऊं.
पर वो जब भी मेरी और देखें
चेहरा छुपाऊँ. हाँ

ख़्वाबों में हाँ मेरे ख़ुदा
रंग भर रहे हैं.
उनका जुनून और मेरी जान
एक कर रहे हैं.

हाय लूटने में कितना मज़ा है
कैसे बताऊँ.

देखूं खुद को तो जैसे
और है कोई
मेरे अलबेलिया, तू खेलिया

देखूं खुद को तो जैसे
और है कोई
मेरे अलबेलिया, तू खेलिया
अलबेलिया वे तू खेलिया

झूठी मैं झूठी ठहरी
तू सही, सही
मेरे अलबेलिया, तू खेलिया
अलबेलिया वे तू खेलिया.

अलबेलिया...
अलबेलिया... तू खेलिया... हां.
अलबेलिया... तू खेलिया.
तू खेलिया.



Credits
Writer(s): Kailash Kher
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