Yeh Raat Bahut Rangeen Sahi

ये रात बहुत रंगीन सही
ये रात बहुत रंगीन सही
इस रात में ग़म का ज़हर भी है
नग़मों की खनक में डूबी हुई
फ़रियाद-ओ-फूहा की लहर भी है
ये रात बहुत रंगीन सही

तुम रक़्स करो, मैं शेर पढ़ूँ
मतलब तो है कुछ ख़ैरात मिले
इस कौम के बच्चों की ख़ातिर
कुछ सिक्कों की सौगात मिले

सिक्के तो करोड़ों ढल-ढल कर
तत्काल से बाहर आते हैं
किन वारों में खो जाते हैं
किन परदों में छुप जाते हैं

ये ज़ुल्म नहीं तो फिर क्या है?
पैसे से तो काले धंधे हों
और मुल्क की वारिस नस्लों की
तालीम की ख़ातिर चंदे हों

अब काम नहीं चल सकने का
"रहम और ख़ैर आ," के नारे से
इस देश के बच्चे अनपढ़ हैं
दौलत के ग़लत बटवारे से

बदले ये निज़ामें ज़रदारी
बदले ये निज़ामें ज़रदारी
कह दो ये सियासतदानों से

ये मसला हल होने का नहीं
काग़ज़ पे छपे एलानों से
ये मसला हल होने का नहीं
काग़ज़ पे छपे एलानों से

ये रात बहुत रंगीन सही
इस रात में ग़म का ज़हर भी है
ये रात बहुत रंगीन...



Credits
Writer(s): N/a Khaiyyaam, Ludiavani Sahir
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