Jab bhi aati hai teri yaad

जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद
और बढ़ जाती है अफ़सुर्दादिली शाम के बाद
जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद

अब इरादों पे भरोसा है न तौबा पे यक़ीं
मुझको ले जाए कहाँ तश्नालबी शाम के बाद

यूँ तो हर लम्हा तेरी याद का बोझल गुज़रा
दिल को महसूस हुई तेरी कमी शाम के बाद

यूँ तो कुछ शाम से पहले भी उदासी थी 'अदीब'
अब तो कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम के बाद
और बढ़ जाती है अफ़सुर्दादिली शाम के बाद
जब भी आती है तेरी याद कभी शाम के बाद



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