Chakravyuh Ka Chakra Ghira Hai

चक्रव्यूह का चक्र घिरा है, कौरव दल की चाल है
आज काल की छाती पर, अभिमन्यु जैसा बाल है

सामने इस व्यूह में पहले जयद्रथ आ गए
वीर अभिमन्यु के हाथों ये भी मुँह की खा गए

पहले सोचा मार डालूँ, क्या यही सत्कर्म है
फिर कहा ना मारना मूर्छित को घोर अधर्म है

छल, कपट की ये लड़ाई देख कर होती व्यथा
सात योद्धाओं से लड़तें एक बालक की कथा

ये महाभारत की कथा
ये महाभारत की कथा

सामने देखा खड़े, ये कर्ण सर ऊँचा लिए
बाण अभिमन्यु का छूटा, धनुष के टुकड़े किए

हिला दुःशासन का आसन, वो भी भागा काँप के
कौन आगे आएगा? ज्वालामुखी इस आग के

अब लो देखो
अब लो देखो, भांजों के प्यारे मामा आ गए
आज ये पासे ना पलटे, उल्टे झाँसा खा गए

ज्वाल भड़की, आज दुर्योधन की भी ना ख़ैर है
आज विष उगलेगा ये सदियों पुराना बैर है

सब ने सोचा इस तरह बालक ये बाज़ ना आएगा
कूटनीति से इसे मारो तभी मर जाएगा

एक तरफ सातों महारथी, एक तरफ बालक अकेला
फिर भी जब तक प्राण तन में, क्षत्रियों का खेल खेला

वाह-वाह! प्यारे भतीजे, तुझसे उज्ज्वल वंश है
आ गले मिल ले घड़ी भर, तू हमारा अंश है

इस तरह इक चाल कपटी, छली दुर्योधन चला
गले मिलने के बहाने निज भतीजे को छला
पीठ पर अभिमन्यु के इक बाण धोके का चला



Credits
Writer(s): Chitragupta, Bharat Vyas
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