Zindagi Kya Baat

ज़िंदगी क्या बात है, ज़िंदगी क्या बात है
ज़िंदगी क्या बात है, ज़िंदगी क्या बात है

ज़िंदगी खौला समंदर, जिसमें डूबी कश्तियाँ
ज़िंदगी वीरान बंजर, जिससे उठ गयी बस्तियाँ
ओ, ज़िंदगी खौला समंदर, जिसमें डूबी कश्तियाँ
ज़िंदगी वीरान बंजर, जिससे उठ गयी बस्तियाँ

जिसको कहते हो जनम, वो मौत की शुरुआत है
ज़िंदगी क्या बात है, ज़िंदगी क्या बात है
ज़िंदगी क्या बात है, ज़िंदगी क्या बात है

इतना ना मायूस बन तू, कर ज़रा ज़िंदादिली
क्यूँ नहीं दिखती तुम्हें वो क़ब्र पर खिलती कली?
ओ, इतना ना मायूस बन तू, कर ज़रा ज़िंदादिली
क्यूँ नहीं दिखती तुम्हें वो क़ब्र पर खिलती कली?

जिसको कहते हो अँधेरा, दिन की वो शुरुआत है
ज़िंदगी क्या बात है, ज़िंदगी क्या बात है
ज़िंदगी क्या बात है, ज़िंदगी क्या बात है



Credits
Writer(s): Sukhwinder Singh
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